Pratyay in Sanskrit – प्रत्यय प्रकरण – संस्कृत में प्रत्यय, परिभाषा, भेद और उदाहरण

Pratyay in Sanskrit – प्रत्यय प्रकरण – संस्कृत में प्रत्यय, परिभाषा, भेद और उदाहरण 







प्रत्यय की परिभाषा

धातु अथवा प्रातिपदिक के बाद जिनका प्रयोग किया जाता है, उन्हें प्रत्यय कहते हैं।

प्रत्ययों के भेद

प्रत्ययों के मुख्यतः तीन भेद होते हैं। वे क्रमशः इस प्रकार

  • कृत् प्रत्यय
  • तद्धित प्रत्यय
  • स्त्री प्रत्यय

1. कृत् प्रत्यया:

(1) जिन प्रत्ययों का प्रयोग धातु (क्रिया) के बाद किया जाता है, वे कृत् प्रत्यय कहलाते हैं। यथा–

  • कृ + तव्यत् = कर्त्तव्यम्
  • पठ् + अनीयर् = पठनीयम्

2. तद्धितप्रत्यया:

जिन प्रत्ययों का प्रयोग संज्ञा, सर्वनाम आदि शब्दों के बाद किया जाता है, वे तद्धित प्रत्यय कहलाते हैं।

  • शिव + अण् = शैवः
  • उपगु + अण् = औपगवः
  • दशरथ + इञ् = दाशरथिः
  • धन + मतुप् = धनवान्

3. स्त्रीप्रत्ययाः

जिन प्रत्ययों का प्रयोग पुल्लिंग शब्दों को स्त्रीलिंग में परिवर्तित करने के लिए किया जाता है, वे स्त्री प्रत्यय कहलाते हैं।

  • यथा कुमार + ङीप् = कुमारी
  • अज + टाप् = अजा


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